Our Objectives

पुलिस कंट्रोल के विभिन्‍न कार्यक्रमों का उद्देश्य


पुलिस कंट्रोल अपने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों के दिलों-दिमाग़ तक यह बात पहुंचाना चाहता है कि समय का रूख़ कभी भी बदला जा सकता है | समस्याएं आसमान से पैदा नहीं होतीं बल्कि हमारे द्वारा ही पैदा की  जाती हैं अत: जागरूक रहकर ही उनका समाधान पाया जा सकता है । सिस्टम को कोसने से बेहतर है अपने भीतर देखा जाए कि क्या हममें मानवता की गंध अभी बाक़ी है ? क्योंकि जो मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण होगा वही समाज, राष्ट्र या उससे भी बढ़कर सारे विश्व के कल्याण में अपनी भूमिका रख सकता है अन्यथा सब अनर्गल बातें होंगी | आज समय की मांग है कि जीवन के मूल्य को समझा और समझाया जाय । किसी के लिए भी पूर्वाग्रह रखना स्वयं को ही धोखा देना माना जाएगा और पुलिस तंत्र भी इससे अछूता नही है । निश्चित ही सभी भ्रष्ट या वेईमान नही हैं फिर भी पुलिस की छवि मलिन हो गई है । इसमें सबसे बड़ा कारण अख़बारों तथा सिनेमा में उनका ग़लत चरित्र-चित्रण है जिसे रोकना होगा | एक ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जिससे पुलिस को कानून व्यवस्था बनाए ररवने में कोई दिक्कत न आए और साथ ही उन दिशा हीन युवाओं को भी समय रहते राष्ट्र की मूलधारा में वापस लाने का समुचित प्रयास चलना चाहिए जो बेरोज़गारी, सामाजिक कुरुतियों अथवा अन्य किसी कारण से अपराध की दुनियां में चले गए हैं । उनकी यह सोच बदलनी होगी कि एक बार अंधकार में डूबने के बाद सच्चाई के प्रकाश में आना संभव नही है । इसके लिए समूचे पुलिस तंत्र को कठोरता के साथ -साथ मानवीय धरातल पर भी सोचना होगा |


यह सच है कि पुलिस को हर दिन नई - नई समस्याओं से दो हाथ होना पड़ता है परन्तु यह भी सच है कि वे इस बात से इनकार नही कर सकते कि वह भी समाज के एक महत्वपूर्ण घटक हैं | उनके परिवार को भी उन सारी चीज़ो की आवश्यकता पड़ती है, जिसकी पूर्ति समाज द्वारा ही की जाती है । अतः संवेदना के स्वर अनसुना करना उनके लिए किसी भी तरह से उचित नही होगा |


“पुलिस कंट्रोल” की कार्य योजनाओं का लक्ष्य ही एक भयमुक्त समाज की रचना है । एक ऐसे समाज की कल्पना जहाँ सभी एक दूसरे के साथ परिवार की तरह जुड़े हों । हमारा साफ़ मानना है कि लोगों में क़ानून के प्रति भय नहीं बल्कि सम्मान पैदा किया जाय तभी सही मायने में निर्भीक और अपराध नियन्त्रित समाज की रचना हो सकती है । होना तो  यही चाहिए कि सभ्य व्यक्ति को पुलिस थाने का डर न रहे | वह पुलिस जनो को अपना दुश्मन नहीं बल्कि मित्र समझे, परन्तु इसके लिए पुलिस कर्मियों को विशेष रुप से ध्यान देकर नम्रता और सहनशीलता की भावना के साथ सदैव जन-सहयोग के लिए तैयार रहना होगा तभी यह सपना साकार हो सकेगा |